हर अपरिचित से भय कैसा? Why fear every stranger??
हर अपरिचित से भय कैसा??
हर अनजान व्यक्ति गलत नहीं होता। ठीक उसी प्रकार जैसे कि हर जान पहचान का व्यक्ति सही नहीं होता । अपने जीवन में सबसे ज्यादा हम अपने नजदीकियों से ठगे जाते हैं। अपने जान पहचान वालों से ठगे जाते हैं । इसके ठीक उलट अपनी पूरी जिंदगी में न जाने कितने ही अनजान व्यक्तियों से हम कितनी ही तरह की मदद पाते हैं और कितने ही अनजान लोग इस तरह हमारी जिंदगी के हिस्से बन जाते हैं । हमारे लंगोटिया यार से भी ज्यादा निकटतम लोग बन जाते हैं ।
इसलिए जब भी किसी समाज की, किसी संगठन की, किसी देश की, किसी शहर की, किसी राज्य की बागडोर हमें किसी की सौंपनी हो, तो हम यह ना देखें कि कौन हमारी जान पहचान का है। बल्कि यह देखें कि कौन आदमी कितना काबिल है। कितना क्षमता वान है । अपने दायित्वों के प्रति कितना निष्ठावान हैं और अपने समाज के प्रति कितना जिम्मेदार है ।
तो जब भी हम ऐसे निर्णयों में अपनी विवेकशीलता का निर्वाह करेंगे । तो सचमुच हम अच्छे लोगों को उनकी उचित जगह दे पाएंगे और उनसे सही दिशा-निर्देश प्राप्त कर सकेंगे । तो ऐसा सोचते हुए ही हमें अपने वे समस्त विषय, जो किन्हीं महत्वपूर्ण बागडोर से जुड़े हुए हों, उन कार्यों को करना चाहिए । जान-पहचान, रिश्ते-नाते, दोस्ती-यारी एक बिल्कुल अलग चीज होती है, लेकिन किसी चीज की जिम्मेवारी एक बिल्कुल दूसरी चीज ।
तो जो जिम्मेदार है, उसे पहचाने, जो कर्मठ है, उसे जाने। जो योग्य है, उसे यथा-योग्य जगह दें और जो योग्य नहीं है, वह चाहे जो कोई भी हो, उसे उस जगह पर कतई नहीं पहुंचाएं, जिसके वह योग्य नहीं है। यह किसी पर कटाक्ष नहीं है। यह हमारी सामाजिक व्यवस्था की उन परिपाटियों की बात है, जिनके चलते पहले तो हम अपने समाज को रसातल में ले जाते हैं और फिर रसातल में ले जाने वाले लोगों को ही गालियां देते हैं कि उन्होंने हमारे समाज को रसातल में पहुंचा दिया है !! जबकि इसके सर्वप्रथम जिम्मेदार हम स्वयं होते हैं!!
तो एक बार फिर से उसी बात पर आऊंगा कि अनजान लोगों से डरे नहीं और जान पहचान वाले लोगों पर भी अंधा-विश्वास न करें। बस यही विवेकशीलता और नीर-क्षीर विवेक अपने भीतर पैदा करें ।
राजीव कुमार वर्मा "थेपड़ा"
रांची, झारखंड
7004782990
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