प्रधानमंत्री ने बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय परिसर का उद्घाटन किया जाने मुख्य बात

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। विश्वविद्यालय की परिकल्पना भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) के देशों के बीच सहयोग प्रणाली के रूप में की गई है। उद्घाटन समारोह में 17 देशों के मिशन प्रमुखों सहित कई प्रतिष्ठित अतिथि शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर एक पौधा भी लगाया।

Jun 20, 2024 - 03:21
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प्रधानमंत्री ने बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय परिसर का उद्घाटन किया जाने मुख्य बात
आग से ज्ञान नहीं जलता, पूरा विश्व बनेगा इसका गवाह

प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण लेने के 10 दिन के अंतराल में नालंदा आने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि यह भारत की विकास-यात्रा की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि नालंदा केवल एक नाम नहीं है, यह एक पहचान है, एक सम्मान है। नालंदा मूल है और मंत्र भी है। नालंदा इस सत्य का उद्घोष है कि ज्ञान नष्ट नहीं हो सकता, भले ही पुस्तकें आग में जल जाएं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि नवीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना भारत के स्वर्ण युग का शुभारंभ करेगी।

                                         आग से ज्ञान नहीं जलता, पूरा विश्व बनेगा इसका गवाह

नालंदा भारत की शैक्षणिक विरासत और जीवंत सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक है”

“नालंदा सिर्फ एक नाम नहीं है, नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है, एक नैतिक मूल्य है, एक मंत्र है, गौरव है और एक गाथा है”

“नालंदा का पुनरुत्थान भारत के लिए एक स्वर्णिम युग का शुभारंभ करने जा रहा है”

“नालंदा केवल भारत के अतीत का पुनर्जागरण नहीं है, बल्कि विश्व और एशिया के कई देशों की विरासत इससे जुड़ी हुई है”

“भारत ने सदियों से निरंतरता को एक आदर्श के रूप में अपनाया है और यह दिखाया है कि हम प्रगति एवं पर्यावरण को साथ लेकर आगे बढ़ते हैं”

“मेरा मिशन है कि भारत, दुनिया के लिए शिक्षा और ज्ञान का केंद्र बने, मेरा मिशन है कि भारत फिर से विश्व के समक्ष सर्वप्रमुख ज्ञान केंद्र के रूप में पहचाना जाए”

“हमारा प्रयास है कि भारत में दुनिया की सबसे व्यापक और संपूर्ण कौशल प्रणाली हो तथा भारत में दुनिया की सबसे उन्नत शोधोन्मुख उच्च शिक्षा प्रणाली हो”

“मुझे विश्वास है कि नालंदा वैश्विक हित का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा”

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया की दृष्टि भारत पर है और भारत के युवाओं पर है। उन्होंने कहा कि भारत, भगवान बुद्ध की भूमि है और संपूर्ण विश्व लोकतंत्र की जननी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहता है। उन्होंने कहा कि जब भारत कहता है 'एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य', तो विश्व उसके साथ खड़ा हो जाता है। जब भारत कहता है 'एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड', तो इसे दुनिया के भविष्य का मार्ग माना जाता है। जब भारत कहता है 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य', तो विश्व उसके विचारों का सम्मान करता है और उसे स्वीकार करता है। नालंदा की धरती सार्वभौमिक भाईचारे की इस भावना को एक नया आयाम दे सकती है। इसलिए, नालंदा के छात्रों की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है।

नालंदा के छात्रों और विद्वानों को भारत का भविष्य बताते हुए प्रधानमंत्री ने अमृत काल के अगले 25 वर्षों के महत्व को रेखांकित किया और उनसे नालंदा के 'मार्ग' और मूल्यों को अपने साथ लेकर चलने का आह्वान किया। उन्होंने उनसे जिज्ञासु, साहसी और सबसे बढ़कर अपने लोगों के अनुरूप दयालु बनने को कहा तथा समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए काम करने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि नालंदा का ज्ञान, मानवता को दिशा प्रदान करेगा और भविष्य में यहां के युवा संपूर्ण विश्व का नेतृत्व करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मानना ​​है कि नालंदा वैश्विक हित का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा।

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