कृषि पशुपालन सचिव श्री अबू बकर सिद्दीकी ने बताई विभाग की चार वर्षों की उपलब्धियां
ब्लॉक चेन सिस्टम से बीज वितरण करने वाला पहला राज्य बना झारखंड केसीसी से 6 लाख 30 हजार नए किसान जोड़े गएः अबू बकर सिद्दीकी बालू की शुरू होगी होम डिलीवरी, बनाया जायेगा सैंड टैक्सी पोर्टल डीएमएफटी कोष में जमा हुआ 11960 करोड़, 5978 करोड़ राज्य के विकास पर हुआ खर्च राज्य के कोयला खदान के अतिरिक्त 14 खनिज ब्लॉक नीलामी के लिए तैयार अब तक 10 गैर कोयला खनिज ब्लॉक की हुई नीलामी उपायुक्त के माध्यम से निगम करेगा 351 बालू घाटों की नीलामी
रांची। कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव श्री अबू बकर सिद्दीकी ने विभाग की चार वर्षों की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में एवं कृषि मंत्री के दिशा निर्देश पर विभाग ने बेहतर कार्य किया है। सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के कांफ्रेंस हाल में पत्रकार वार्ता में बताया कि झारखंड पूरे देश में पहला ऐसा प्रदेश है, जिसने बीज वितरण में ब्लॉक चेन प्रणाली लागू की है। हमारे इस प्रयास की पूरे विश्व में चर्चा हुई है। सुखाड़ के बावजूद इस वर्ष 1.30 लाख क्विंटल बीज का वितरण वेब पोर्टल के माध्यम से किया गया है। वहीं कृषि ऋण माफी योजना के तहत स्टैंडर्ड केसीसी में अब तक 8 लाख ऋणी किसान को शामिल किया गया है। अब तक 4 लाख 62 हजार से ज्यादा किसानों को डीबीटी के माध्यम से 1858.3 करोड़ रुपये का वितरण किया गया है। दूध उत्पादन के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करते हुए दूध का संग्रहण 1.5 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 2.5 लाख लीटर प्रतिदिन हो गया है। जबकि, किसानों को 3रुपये प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जा रही है। करीब 38 हजार किसान इस योजना से लाभान्वित हुए हैं।
विभागीय सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना में अब तक कुल 45 लाख 45 हजार से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसमें अब तक 13 लाख 94 हजार से ज्यादा सत्यापित लाभुकों को 478 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। राज्य में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 438 नोडल लैंप्स- पैक्स को 8 - 8 लाख रुपये की कार्यशील पूंजी प्रदान की गई है।
मुख्यमंत्री पशुधन योजना में अब तक 01 लाख से ज्यादा लाभुकों को अनुदान की राशि दी गई है। राज्य में 5454 तालाब का जीर्णोंद्धार और 8081 परकोलेशन टैंक के साथ 3513 डीप बोरिंग की गई हैं। जबकि, 17320 पंपसेट का वितरण किया गया है। 1784 किसानों और स्वयं सहायता समूहों को मिनी ट्रैक्टर और पावर ट्रिलर वितरित किए गए हैं। किसानों के सहयोग के लिए 24 घंटे कॉल सेंटर के साथ किसान हेल्पलाइन की शुरुआत की गई है। राज्य में 25 कोल्ड स्टोरेज का निर्माण पूरा करने की पहल की जा रही है। मछली उत्पादन में 3.30 लाख टन के लक्ष्य के विरुद्ध 2.95 लाख टन उत्पादन हुआ है, जबकि 2018-19 में यह उत्पादन 2 लाख टन से कम था। बंद पड़े कोयला खदनों में केज कल्चर की शुरुआत की गई है। राज्य के 2.5 लाख किसान कृषि उपज व्यापार के लिये ई-नेम पोर्टल पर पंजीकृत किये जा चुके हैं और उनकी उपज को खेत से ही बेचने की सुविधा विकसित की गई है। 236 वेटनरी एम्बुलेंस के लिए जीवीके ग्रीन सर्विसेज के साथ एमओयू बहुत जल्द किया जायेगा। राज्य में 40 पाठशाला संचालित की जा रही है और नई पाठशाला के संचालन के लिए संस्थाओं का चयन प्रक्रिया में है। पलामू में गौ मुक्तिधाम का शिलान्यास किया गया है। जल्द ही अन्य जिलों में काम शुरू किया जाएगा। अगले पांच वर्षों में प्रत्येक जिला में एफपीओ गठन का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें कार्यशील पूंजी के लिए अनुदान का प्रावधान किया जा रहा है।
बालू की होगी होम डिलीवरी शुरू, बनाया जायेगा सैंड टैक्सी पोर्टल
खान एवं भूतत्व विभाग की जानकारी देते हुए श्री अबू बकर सिद्दिकी ने बताया कि राज्य में झारखंड खनिज विकास निगम द्वारा तेलंगाना राज्य की तर्ज पर सैंड टैक्सी पोर्टल को मार्च 2024 तक लागू किया जायेगा। पोर्टल पर पंजीकृत ट्रैक्टर वाहनों के मालिकों / नागरिकों और उपभोक्ताओं को बालू का ऑर्डर देने के 48 घंटे के अंदर बालू गंतव्य स्थान तक पहुंचाया जायेगा। वर्तमान में 14 खनिज ब्लॉकों को नीलामी के लिये तैयार किया गया है। लघु खनिज की नीलामी की जानकारी देते हुए कहा कि झारखंड में पहली बार झारखंड स्टेट सैंड माइनिंग पॉलिसी 2017 के अनुसार कुल 351 बालू घाटों की नीलामी की प्रक्रिया निगम के द्वारा उपायुक्त के माध्यम से की जायेगी।
सचिव ने कहा कि डीएमएफटी फंड में कुल 11 हजार 960 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं, जिसमें से 5978 करोड़ रुपये विभिन्न विकास योजनाओं पर व्यय किये गये हैं। 2023-24 में कुल तीन कोयला खदानों की नीलामी की गयी है। साथ ही गैर कोयला खदानों में अभी तक कुल 10 खनिज ब्लॉक खदानें नीलाम की जा चुकी हैं, जिसमें लौह, स्वर्ण, चूना पत्थर और बॉक्साइट आदि की खदान हैं। अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए माइंस सर्विलांस सिस्टम फॉर माइनर मिनरल लागू किया जा रहा है, जो सेटेलाइट आधारित है। इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में गोड्डा और पाकुड़ में एमएसएस और जेएसएसी के सहयोग से लागू किया जा रहा है।
संवाददाता सम्मेलन में कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग और खान एवं भूतत्व विभाग के कई पदाधिकारी उपस्थित थे।
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