विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में दो दिवसीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का आयोजन किया

May 29, 2024 - 03:34
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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में दो दिवसीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का आयोजन किया
Climate Change Conclave

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में 27-28 मई 2024 तक दो दिनों तक चलने वाला जलवायु परिवर्तन सम्मेलन आयोजित किया।

सम्मेलन में भारत भर से विशेषज्ञ एकत्रित हुए, तथा उन्होंने भारतीय संदर्भ में जलवायु मॉडलिंग के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) में आधारभूत मॉडल विकसित करने, आंकड़ों के गुणवत्ता नियंत्रण और जलवायु पूर्वानुमानों में सुधार करने के साथ-साथ बेहतर जलवायु अनुकूलन समाधानों के लिए लोगों के साथ बातचीत को मजबूत करने की आवश्यकता पर विचार-विमर्श किया।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रो. अभय करंदीकर ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "डीएसटी के दो मिशन- हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसएचई) और जलवायु परिवर्तन के लिए रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसकेसीसी) ने पिछले कुछ वर्षों में 19 सीओई और 37 प्रमुख अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों का समर्थन करने के मामले में महत्वपूर्ण प्रगति की है।" आगे बोलते हुए उन्होंने भारतीय संदर्भ में एआई में आधारभूत मॉडल विकसित करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

डीएसटी सचिव ने ‘भारत के लिए जिला स्तरीय जलवायु जोखिम आकलन’ के मसौदा कार्यकारी सारांश को जारी करते हुए कहा कि डेटा पर आधारित स्वदेशी जलवायु मॉडल जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बेहतर समझ प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा, “विभिन्न विषयों के शोधकर्ताओं और विभिन्न हितधारकों को शामिल करते हुए एक समग्र दृष्टिकोण की दिशा में सामूहिक प्रयास जलवायु परिवर्तन की मौजूदा चुनौतियों और कृषि, जल और पर्यावरण पर इसके प्रभाव से निपटने में मदद कर सकते हैं।”

प्रो. अभय करंदीकर, सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी)

डीएसटी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अखिलेश गुप्ता ने डीएसटी के जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम की शुरुआत और विकास, जलवायु परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) में डीएसटी द्वारा किए गए हस्तक्षेप तथा पूरे देश में जलवायु परिवर्तन विज्ञान और अनुकूलन अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों को विकसित करने और मार्गदर्शन देने की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला।

इस बात पर बल देते हुए कि जलवायु समाधान आने वाली पीढ़ियों के लिए भविष्य को सुरक्षित करने के बारे में है, डॉ. गुप्ता ने समुदायों से एक साथ आने और न केवल समस्याओं का विश्लेषण करने, बल्कि समाधान की दिशा में मिलकर काम करने का आग्रह किया।

जलवायु, ऊर्जा और सतत प्रौद्योगिकी (सीईएसटी), डीएसटी की प्रमुख डॉ. अनीता गुप्ता ने जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि दुनिया की 40% आबादी पहले से ही जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति संवेदनशील है। उन्होंने बताया कि कैसे एनएपीसीसी के तहत डीएसटी के दो मिशन पूरे देश में अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों का समर्थन करके ऐसे समाधानों की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने मिशन इनोवेशन के बारे में भी बात की, जो स्वच्छ ऊर्जा समाधानों के लिए 2015 में शुरू की गई एक वैश्विक पहल है जिसमें डीएसटी भाग ले रहा है।

आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रंगन बनर्जी ने कोयला से मेथनॉल रूपांतरण, ब्लू हाइड्रोजन उत्पादन और कार्बन कैप्चर और भंडारण जैसी नवीन शमन प्रौद्योगिकियों में आईआईटी दिल्ली में जलवायु परिवर्तन मॉडलिंग पर उत्कृष्टता केंद्र के प्रयासों पर प्रकाश डाला।

बैठक में आईआईटी दिल्ली, आईआईटी भुवनेश्वर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, कश्मीर विश्वविद्यालय, आईआईएससी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, आईसीआरआईएसएटी, डीएसटी उत्कृष्टता केंद्रों के साथ-साथ डीएसटी अधिकारियों के कई अन्य जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञों ने भाग लिया।

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