चुनौतियों को स्वीकारें और उन्हें हराकर ही दम लें!!

अमेरिका की टेनिस खिलाड़ी कोको गाफ ने यू एस ओपन में महिला सिंगल्स का खिताब जीता। उन्होंने कहा "इस जीत को बयां करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं, जब मैंने अपने पिता को गले लगाया, तब मैंने उन्हें नहीं देखा, क्योंकि गले लगाने के बाद तुरंत वह मुझसे दूर चले गए। आप गाफ के इन शब्दों पर एक गहरी दृष्टि डालिए, तो इसमें दो बातें सामने आती हैं। एक, अपने उस पिता के बारे में, जिन्होंने उन पर गहरा भरोसा किया और दूसरी, उन सबों के बारे में, जिन्होंने उस पर भरोसा नहीं किया।

Sep 14, 2023 - 02:18
Sep 14, 2023 - 02:22
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चुनौतियों को स्वीकारें और उन्हें हराकर ही दम लें!!
चुनौतियों को स्वीकारें और उन्हें हराकर ही दम लें!!

 अभी कल परसों ही अमेरिका की टेनिस खिलाड़ी कोको गाफ यू एस ओपन में महिला सिंगल्स की चैंपियन बनी है ।  न्यूयॉर्क के प्रसिद्ध ऑथर ऐश स्टेडियम में 24000 दर्शकों/ फैन्स के सामने ग्राफ ने अपनी प्रतिद्वंद्वी और ऑस्ट्रेलिया ओपन चैंपियन आर्यना साबालेंका को 2 घंटे 6 मिनट के फाइनल मैच में कड़ी मेहनत के बाद 2-6, 6-3, 6-2 हराया और इसी के साथ ही वे 1999 के बाद यह टाइटल जीतने वाली पहली अमेरिकन टीनएजर बन गई ।  उससे पहले ऐसा करने वाली पहली खिलाड़ी सेरेना विलियम्स थीं। इस जीत के पश्चात उन्होंने जो कहा, वह अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे हम सबको एक गहरी सीख मिलती है। यदि वह सीख हम लेना चाहें। 
                उन्होंने कहा "इस जीत को बयां करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं, जब मैंने अपने पिता को गले लगाया, तब मैंने उन्हें नहीं देखा, क्योंकि गले लगाने के बाद तुरंत वह मुझसे दूर चले गए। लेकिन मैंने उन्हें रोते हुए सुना। मैंने अपने जीवन में कभी उन्हें रोते हुए नहीं देखा था। मैं जीतूं या हारूँ, मेरी मां हमेशा भावुक हो जाती हैं। लेकिन पिता के आंसू पहली बार देखे। मैं उन लोगों को भी धन्यवाद कहना चाहती हूंँ, जिन्होंने मुझ पर विश्वास नहीं किया ।" 
                आप गाफ के इन शब्दों पर एक गहरी दृष्टि डालिए, तो इसमें दो बातें सामने आती हैं। एक, अपने उस पिता के बारे में, जिन्होंने उन पर गहरा भरोसा किया और दूसरी, उन सबों के बारे में, जिन्होंने उस पर भरोसा नहीं किया। 
                दोस्तों हम सबके साथ भी लगभग यही स्थिति जीवन भर बनी रहती है। जीवन के हर पड़ाव से गुजरते हुए हमें लगातार ऐसे लोगों का सामना करना होता है, जो हम पर भरोसा नहीं करते। यद्यपि भरोसा न करने का कोई विशेष कारण भी नहीं होता। लेकिन उन्हें लगता है कि सामनेवाला ऐसा नहीं कर पाएगा। क्योंकि जीवन के ऊंचे पड़ावों को प्राप्त करने के लिए जिस प्रकार की मेहनत करनी होती है, वह मेहनत हर कोई नहीं कर पाता। इसलिए वह यह समझ पाने में भी सक्षम नहीं होते कि सामने वाला भी उसी प्रकार की मेहनत कर पाने में सक्षम हो सकता है। जो वे स्वयं नहीं कर सकते और इसी कारण  कोई भी वह व्यक्ति, जो मेहनत कर सकता है, जो अपने लक्ष्य को चुन सकता है, वह न केवल आगे बढ़ता है, अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है, बल्कि अपने प्रति समस्त पूर्वानुमानों को झुठलाते हुए (और पूर्वानुमान भी क्या? जो उससे पहले उसे क्षेत्र में प्रभुत्वशाली है, शक्ति संपन्न है, उसके बारे में यह सोच भी नहीं जा सकता कि उसे हराया जा सकता है!) 
                किंतु अपने ही जीवन में हम लगातार अपने आसपास यह देखते हैं और महसूस करते हैं कि जीवन के हर क्षेत्र में कोई ना कोई नया नवेला प्रतिद्वंदी आकर किसी पुराने खिलाड़ी को हरा देता है। यह किसी खेल में भी हो सकता है। यह किसी कला में भी हो सकता है। यह किसी व्यापार में भी हो सकता है। तात्पर्य यह है कि यह किसी भी क्षेत्र में हो सकता है। 
                तो शक्ति केवल उसे नहीं कहते हैं, जो आपके आसपास पहले से व्याप्त होती है। शक्ति अर्जन की एक प्रक्रिया का नाम है। शक्ति धीरे-धीरे अर्जित होती है। शक्ति हर दिन के अनवरत और अटूट प्रयासों से अर्जित होती चली जाती है। शक्ति हर दिन आपके पास आपकी मेहनत के कारण संपन्न होती चली जाती है और एक दिन अपनी उस अभ्यास रूपी शक्ति से आप उस लक्ष्य को भी हासिल कर लेते हैं, जिसके विषय में दूसरे लोग यह सोचते हैं कि इसे प्राप्त ही नहीं किया जा सकता !
                तो हम वापस गाफ की उसी बात पर लौटते हैं, जिसमें उनकी बातों में दो बातें प्रतिध्वनित हो रही हैं। एक तो यह बात कि उनके पिता का उन पर अटूट भरोसा था और एक ठीक इसके उल्टी बात कि वह उन लोगों का भी धन्यवाद ज्ञापित करती हैं, जिन्होंने उसे पर भरोसा नहीं किया। तो यहां हम देखें कि उनकी पहली शक्ति भरोसे की शक्ति है और दूसरी शक्ति चुनौती की शक्ति है। किंतु चुनौती की शक्ति आप में तब प्रबल होती है, जब आप अपने ऊपर किये जा रहे किसी अविश्वास को विश्वास में बदलने की ठान लेते हैं और सच जानिए कि आपके जीवन की असली चुनौती यही है कि आपके आसपास के जो भी लोग आप पर अविश्वास करते हैं, वह दरअसल आपको चुनौती दे रहे होते हैं कि आप वह नहीं कर सकते और जिनमें भी इन चुनौतियों को स्वीकार कर पाने की क्षमता होती है, वे इस चुनौती को स्वीकार कर अपनी मेहनत से उस अविश्वास को तोड़ने के लिए एक सतत यात्रा की ओर चलना शुरू कर देते हैं। 
                 और यह यात्रा इस प्रकार की होती है। पहले धीरे चलना, फिर थोड़ा तेज चलना, फिर थोड़ा दौड़ना  और अंत में सबसे तेज दौड़ना । यानी शक्ति अर्जित करने की हर यात्रा एक तरह की मैराथन दौड़ है। जिसमें आपको अपनी समस्त ऊर्जा को अंत के लिए बचा कर रखना पड़ता है। लेकिन आरंभ से लेकर अंत तक उसे यात्रा को पूरा करने के लिए अपनी पूरी उजरस्विता के साथ डटे रहना पड़ता है और इस प्रकार यह यात्रा अथक मेहनत के साथ अंततः अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के रूप में ही संपन्न होती है। 
                  तो इसका तात्पर्य एक बार फिर से दोहरा दूँ। पहले चलना, फिर दौड़ना, फिर और तेज दौड़ना । केवल और केवल यही चुनौतियों को हारने का एकमात्र नियम है। और जीवन का चाहे कोई भी क्षेत्र क्यों न हो सफलता के लिए जीत हासिल करने के लिए हर दिन किसी भी प्रकार से सतत अभ्यास आप चाहे जिस किसी भी क्षेत्र के क्यों ना हों। आप बड़े से बड़े कलाकार गायक या ऐसे किसी भी शीर्ष पर बैठे व्यक्ति से पूछ कर देखिए, तो आपको पता चलेगा कि उन्होंने किसी भी कीमत पर अपना रोज का अभ्यास कभी नहीं छोड़ा। सचिन तेंदुलकर हर रोज नेट प्रैक्टिस करते थे, जिस दिन उन्होंने दोहरा शतक बनाया उसके दूसरे दिन भी वह सवेरे नेट प्रैक्टिस पर उपस्थित थे। 
                  तो आपको यह अवश्य ही जानना चाहिए कि आपका सतत अभ्यास ही आपको सामर्थ्यवान बनाता है और तभी आप अपनी दिशा को स्पष्ट देख पाने में भी समर्थ होते हैं। आपको अथक परिश्रम करना ही पड़ता है, वरना आप औसत रह जाते हैं और औसत लोगों की तरह औसत जीते हुए बिना किसी गिनती में आए हुए इस संसार से विदा हो जाते हैं। तय आपको करना है कि आपको अपने जीवन में क्या चुना है। चुनौती ? या फिर अपना आराम से जिया जाता जीवन और उसके संघर्ष ??
                   किंतु दोस्तों सच तो यह है कि संघर्ष तो तब भी आने हैं, जब आप आराम से अपना जीवन जीते हैं। बिना किसी खास मेहनत के और संघर्ष तब भी आता है। जब आप बहुत मेहनत करते होते हैं, लेकिन फिर भी कुछ नहीं पाए! क्योंकि आपके पास कोई दिशा या कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं होता या केवल और केवल सामान्य से वह लक्ष्य निर्धारित होते हैं, जिन पर चलने से आपको एक औसत लक्ष्य ही हासिल होता है। आपने औसत बने रहने की ठान ली है, तो फिर कोई आपका कुछ नहीं कर सकता । किंतु बड़ा लक्ष्य पाने के लिए बड़ा स्वप्न देखना पड़ता है, बड़ा लक्ष्य चुनना पड़ता है और लक्ष्य चुने जाने के बाद आपको उसे लक्ष्य की ओर लगातार चलना ही पड़ता है। पहले धीरे, फिर थोड़ा तेज और फिर थोड़ा और तेज चलना पड़ता है। दौड़ना पड़ता है। अपनी पूरी शक्ति, अपनी पूरी ऊर्जा, अपनी पूरी ईमानदारी, अपनी पूरी कर्मठता उस एक लक्ष्य को पाने में लगा देनी होती है। 
                    और अंत में एक बात और । जब आप ऐसा करने को तत्पर होते हैं, तब आप यह भूल जाते हैं कि आपके बारे में कौन क्या कह रहा है! क्योंकि यदि अपने बारे में किसी के द्वारा कही गई किसी बुरी बात को यदि आप अपने मन में दोहराना शुरू करते हैं, तो फिर आपकी शक्ति का पतन होता है, क्षय होता है। क्योंकि सामने वाले को आपके बारे में कुछ भी कहने में कुछ क्षणों का ही समय लगता है। किंतु आप उस पर बार-बार सोचते हुए और अपने मन ही मन में उसको दोहराते हुए, उसका कई गुना समय व्यर्थ कर देते हैं, मतलब नष्ट कर देते हैं और यह व्यर्थ किया गया समय, नष्ट किया गया समय कभी वापस लौट कर नहीं आता और इसी के साथ एक बात और होती है कि उस नष्ट किया जा रहे समय में आपकी शक्ति का भी क्षय होता है। 
                     तात्पर्य यह है कि दूसरों के द्वारा अपने बारे में कही जाने वाले किसी भी बात को अपने दिल पर ना लें और यदि लें भी तो उसे केवल और केवल अपने लिए एक स्वस्थ चुनौती के रूप में लें । दूसरों की किसी भी बात को अपने मन दिल पर नेगेटिवली लेना आपको अपनी चुनौती को अपने लक्ष्य को पाने में सबसे बड़ा बाधक सिद्ध होता है। चुनौती का सामना करने का एक मंत्र यह भी है कि लोग आपके बारे में जो भी कुछ क्यों ना कहें। आपको अपने रास्ते चलते जाना है। दौड़ते जाना है और तेज दौड़ते जाना है! सफलता का केवल और केवल यही रहस्य है। केवल यही मंत्र है। आप क्या चुनते हैं। केवल और केवल इसी के ऊपर आपकी आगे की यात्रा निर्भर है। 

Rajeev Thepra 
With Sonal Thepra 

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