मोदी का मास्ट्रक स्ट्रोक, क्या धराशाही होगी राहुल की 'जितनी आबादी, उतना हक' और OBC पर जमाई फील्डिंग?
सियायत की पिच पर प्रधानमंत्री मोदी फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं। जिस तरह से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सीएम पद के लिए नए चेहरों का चयन किया गया है, उसके पीछे 'विपक्ष' के एजेंडे को धराशाही करना है।
सियासी नुकसान को भांप लेती है भाजपा
पांच राज्यों के चुनाव से पहले बिहार में जातिगत गणना कराई गई थी। इसके बाद राहुल गांधी ने 'इंडिया' गठबंधन के सहयोगियों के साथ चर्चा कर इस मुद्दे को उठा लिया। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष को यह मुद्दा, मंडल कमीशन की तरह लगा था, इसलिए उन्होंने 'जातिगत गणना' और 'ओबीसी' को लेकर प्रेसवार्ता भी की। उसके बाद राहुल ने पांच राज्यों के चुनाव में उक्त मुद्दों को जबरदस्त तरीके से भुनाया। राहुल ने कहा, केंद्र सरकार में 90 सेक्रेटरी में से सिर्फ 3 ओबीसी से हैं। ये ओबीसी समाज का अपमान है। कितने दलित हैं और आदिवासी, इस सवाल का जवाब जाति जनगणना है। केंद्र सरकार, इस सवाल से भाग रही है। वह जनगणना कराने से बच रही है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व, इन मुद्दों के सियासी नुकसान को भांप चुका था। आरएसएस से सलाह करने के बाद भाजपा ने अपने रणनीति बना ली। उसकी बानगी भी मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों के चयन में देखने को मिल गई है।
नीतीश कुमार ने लंबे समय तक किया होमवर्क
कांग्रेस पार्टी की राजनीति को करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक रशीद किदवई कहते हैं, यह राष्ट्रीय दल, औचक फैसले लेने में सक्रियता नहीं दिखाता। सियासत में मुद्दे किसी के होते हैं और उन्हें उठा, कोई दूसरा लेता है। खासतौर पर मुकाबले वाली स्थिति में कांग्रेस पिछड़ जाती है। मोदी, एकाएक राष्ट्रीय राजनीति में आए। आम आदमी पार्टी का उदय हुआ। राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की समस्या है कि ये लोग अपने पत्ते, पहले ही खोल देते हैं। जातिगत गणना, ओबीसी या महिला आरक्षण, ये संवेदनशील मुद्दे होते हैं। अगर बिहार में आज इस जातिगत गणना की चर्चा है, चमक है तो उसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लंबे समय तक तैयारी की थी। वो एकाएक लिया गया निर्णय नहीं था।
राहुल से छिन गए हैं कई मुद्दे
दूसरी तरफ राहुल गांधी ने बिना तैयारी या होमवर्क किए, इस मुद्दे को उठा लिया। विधानसभा चुनाव में वे इन मुद्दों को भुना नहीं सके। ऐसा पहले भी होता रहा है कि कांग्रेस पार्टी अपने पत्ते पहले ही खोल देती है। सत्ताधारी पार्टी, उनमें थोड़ा बहुत बदलाव कर, उन्हें अपने फायदे के लिए तैयार कर लेती है। राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 'चौकीदार चोर है' का मुद्दा उठाया, लेकिन उस पर कोई होमवर्क नहीं किया। उसके नफा नुकसान का अंदाजा नहीं लगाया। नतीजा, वह कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचा गया। भाजपा ने दो मुख्यमंत्रियों के नाम का एलान कर, राहुल गांधी से एक साथ कई मुद्दे छीन लिए हैं।
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