ISRO on Private Sector: स्पेस सेक्टर में महाशक्ति बनने के लिए भारत को क्या करना होगा? ISRO प्रमुख ने बता दी राह

Nov 26, 2023 - 15:27
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ISRO on Private Sector: स्पेस सेक्टर में महाशक्ति बनने के लिए भारत को क्या करना होगा? ISRO प्रमुख ने बता दी राह

ISRO Chief S Somnath on Private Sector: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने स्पेस सेक्टर में भारत को महाशक्ति बनाने के लिए अनावश्यक बंदिशें हटाने पर बल दिया है.

उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में भारत का अंतरिक्ष उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है. इसकी बड़ी वजह इसे प्राइवेट सेक्टर के लिए खोला जाना भी है. फिर कुछ ऐसी बाधाएं हैं, जिन्हें हटाए जाने की जरूरत है. ऐसा होने के बाद भारत को अंतरिक्ष विज्ञान की सुपरपावर बनने से कोई रोक नहीं पाएगा. 

'स्पेस में प्राइवेट सेक्टर का अहम रोल'

भारत के पहले रॉकेट की लॉन्चिंग की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह में एस सोमनाथ (ISRO Chief S Somnath) ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में निजी क्षेत्र की बड़ी भूमिका रही है, जिसने भारत की उपग्रह निर्माण क्षमताओं को काफी बढ़ाया है. इसरो प्रमुख ने कहा, 'पहले उपग्रहों, प्रक्षेपण यान और संबद्ध प्रौद्योगिकियों का विकास और उत्पादन केवल इसरो करता था. इसरो में केवल 17,000 लोग हैं और 13,000 करोड़ रुपये का बजट है.'

'भारत में 130 से ज्यादा स्टार्टअप'

उन्होंने (ISRO Chief S Somnath) कहा कि भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में अब 130 से अधिक स्टार्टअप हैं, जिनमें से कुछ कंपनियों में 400 से 500 कर्मचारी हैं. उनका कारोबार 500 से 1,000 करोड़ रुपये है. उनमें से कुछ इसरो की तुलना में बेहतर वेतन दे रहे हैं. इसरो से रिटायर्ड वैज्ञानिकों की भी वहां काफी मांग है. ये कंपनियां इसरो से सेवानिवृत्त होने वाले लोगों का इंतजार कर रही हैं.

'5 कंपनियां बना रही उपग्रह'

इसरो प्रमुख (ISRO Chief S Somnath) ने कहा कि उपग्रह विनिर्माण के लिए भारत के एक उत्कृष्ट केंद्र के रूप में उभरने की संभावना है. इसकी वजह से भारत का स्पेस सेक्टर में बिजनेस भी कई गुणा बढ़ने के आसार हैं. उन्होंने कहा, 'प्रौद्योगिकी विकास और अंतरिक्ष विज्ञान में प्रगति ठीक है, लेकिन कारोबार महत्वपूर्ण है. वर्तमान में, पांच भारतीय कंपनियां उपग्रह विनिर्माण करने में सक्षम हैं. उनमें से तीन ने अपने उपग्रहों का विनिर्माण और विदेशों से सफल प्रक्षेपण किया है.

'भारत में ही करें लॉन्चिंग'

सोमनाथ (ISRO Chief S Somnath) ने कहा, 'हम नहीं चाहते कि उनके उपग्रह विदेशों से प्रक्षेपित किए जाएं. हम चाहते हैं कि वे हमारे प्रक्षेपण केंद्रों का उपयोग करें. हम चाहते हैं कि वे उपग्रह यहां बनाएं; वे जो भी प्रौद्योगिकी चाहते हैं ला सकते हैं, लेकिन यहां विनिर्माण करें और यहां से उनका प्रक्षेपण करें.' उन्होंने स्पष्ट किया कि अंतरिक्ष विज्ञान में निजी क्षेत्र इसरो की भूमिका को नहीं घटाता है. इसरो अभी जो कुछ कर रहा है उसे करना जारी रखेगा. हम अब लोगों को अंतरिक्ष में भेजने की बात कर रहे हैं. इसरो प्रगति करना जारी रखेगा.'

उन्होंने कहा कि जीएसएलवी रॉकेट को नियमित रूप से अपडेट किया गया है. उसने अंतरिक्ष में काफी अधिक वजन ले जाने की क्षमता प्रदर्शित की है. सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष में 'पेलोड' ले जाने की पीएसएलवी की क्षमता 850 किलोग्राम थी जो अब बढ़ाकर दो टन कर दी गई है. 

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