तीन दिवसीय जैविक कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया गया
जेएसएलपीएस पाकुड केसौजन्य सेवजलेकेवलट्टीपाड़ा प्रखंड केनावाडीह गांव में आजीविका कृषि पद्धतियों का प्रदर्शन और क्रियान्वयन किया गया। इसके दौरान विभिन्न कृषि प्रयोगों को दिखाया गया जो कि किसानों को आजीविका कमाने में सहायता करते हैं।
पहले, बीजों का उपचार किया गया। बीजामृत नामक विशेष तत्वों से बना जैविक घोल उपयोग किया गया जो बीजों को सुरक्षित रखने और प्राकृतिक रूप से स्वस्थ विकास करने में मदद करता है। इसके अलावा, नमक घोल के द्वारा बीजों की गुणवत्ता की जांच की गई और कच्चे दूध से बनाए गए बीजों का उपचार किया गया।
उपयोगी पौधों को कीटनाशक और प्रबंधन के लिए वनमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्नेष्ट्र, खट्टा मुथा घोल जैसे प्राकृतिक तत्वों का उपयोग किया गया। इन तत्वों से बने घोल ने कीटों को नष्ट किया और पौधों की सुरक्षा सुनिश्चित की। नीम और बेल के पत्तों से बनाए गए तत्वों का भी उपयोग किया गया जो कीटाणुओं के विरुद्ध कार्य करते हैं।
साथ ही, जैविक खाद की तैयारी और उपयोग के लिए घन जीवामृत, संजीवनी खाद और चूना उपचार जैसे पदार्थों का प्रशिक्षण दिया गया। इन जैविक खादों का उपयोग पौधों के पोषण और स्वस्थ विकास के लिए किया जाता है।
इन सभी प्रदर्शनों के साथ-साथ, मिट्टी के बर्तनों की गुणवत्ता और चमक में सुधार के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया। इसके अलावा, वर्मीकम्पोस्ट, नाडेप, टोंक और पंचगव्य के उपयोग से अनाज की उत्पादन में सुधार किया गया।
यह प्रदर्शन और क्रियान्वयन कार्यक्रम किसानों को नवीनतम और सशक्त खेती प्रविधियों का परिचय देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इससे किसान अपनी आजीविका को सुरक्षित और सतत बनाने के लिए उचित ज्ञान प्राप्त कर सकते है
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