Success Story बेहतर मौके नहीं मिल पाने से शिक्षिका बनीं मत्स्यपालिका, अब एक सफल उद्यमी

इंदु भगत, चरिमा झखराटोली के निवासी, पढ़ी-लिखी होने के बावजूद नौकरी नहीं मिलने से उद्यमी बनी। कोविड-19 के कारण पति की नौकरी चली गई, जिसके चलते मत्स्यपालन में रुचि हुई। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से मिली सहायता से उन्होंने तालाब खुदवाए और मछली की बिक्री में सफलता प्राप्त की।

Jul 22, 2023 - 00:41
Aug 31, 2023 - 04:53
 0
Success  Story बेहतर मौके नहीं मिल पाने से शिक्षिका बनीं मत्स्यपालिका, अब एक सफल उद्यमी

LOHARDAGA इंदु भगत, चरिमा झखराटोली के निवासी, पढ़ी-लिखी होने के बावजूद नौकरी नहीं मिलने से उद्यमी बनी। कोविड-19 के कारण पति की नौकरी चली गई, जिसके चलते मत्स्यपालन में रुचि हुई। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से मिली सहायता से उन्होंने तालाब खुदवाए और मछली की बिक्री में सफलता प्राप्त की। उन्होंने युवाओं को मत्स्यपालन के लिए प्रेरित किया और सरकारी योजनाओं का उपयोग किया।

 

शिक्षा और मत्स्यपालन

 

कोरोना में पति की नौकरी गयी तो जीवनयापन के लिए किसी अन्य विकल्प की तलाश शुरू हो गयी। शुरूआत में गांव के आस-पास के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया लेकिन स्थायी समाधान नहीं हो पाया। इस दौरान एक दिन मोबाईल में यू-ट्यूब में मत्स्यपालन से जुड़े कुछ वीडियो दिखे तो मन में मत्स्यपालन करने के लिए आवश्यक जानकारी हासिल करने लगीं। मत्स्यपालन में सरकारी सहयोग की राशि अन्य सहायता के बारे पूरी जानकारी हासिल कर वे मत्स्य कार्यालय पहुंचीं। इसमें शिक्षित होने का बहुत फायदा मिला और योजना की अच्छी तरह समझ पायीं।

 

सरकार, बैंक और रिश्तेदारों से राशि जुटायी

 

इंदु और उनके पति ने वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लिए आवेदन दिया जो स्वीकृत हो गया। कुल 14 लाख की योजना स्वीकृत हुई जिसमें सरकार की ओर से अनुदान राशि 8.40 लाख रूपये और लाभुक का अंशदान 5.60 लाख रूपये था। इस राशि से इंदु ने 16हजार वर्ग फीट तालाब के साथ-साथ अन्य छोटे तालाब भी कुछ राशि जुटाकर खुदवाया। सरकार के अलावा बैंक की ओर से केसीसी राशि और रिश्तेदारों से राशि जुटायी। पति के कुछ पुराने बचत राशि को भी इसमें लगाया और अंततः चार तालाब तैयार हो गये।

 

मछली की बिक्री हो चुकी है शुरू

 

तालाब तैयार होने के बाद इंदु ने इसमें पश्चिम बंगाल से लाकर अपने निजी खर्च से पंगास, रूपचंदा और रेहू प्रजाति की मछली का बीज डाला। पंगास और रूपचंदा प्रजाति की मछली का उत्पादन प्रारंभ हो चुका है और इंदु भगत अब तक तीन लाख रूपये से अधिक की मछली बिक्री कर चुकी हैं।

 

इंदु का कहना है कि उनके पति ने अगर भरोसा नहीं जताया होता तो वे कभी भी एक सफल मत्स्यपालक नहीं बन पातीं। जो भी मत्स्यपालन के क्षेत्र में जाना चाहते हैं उन्हें मत्स्यपालन से जुड़ीं सभी जानकारियां एकत्रित कर लेनी चाहिए और सरकार की ओर से चलायी जा रही योजनाओं का लाभ लेना चाहिए।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow