तेजी से बढ़ते हुए भारत के 140+ अंतरिक्ष स्टार्टअप्स विश्व स्तर पर चर्चा का विषय बने
भारत की अंतरिक्ष स्टार्टअप क्रांति को विश्व में सम्मान मिला शून्य से 140+ तक: भारत की मजबूत अंतरिक्ष स्टार्टअप साकार कर रही दुनिया को प्रभावित - डॉ. जितेंद्र सिंह
डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार बाह्य अंतरिक्ष की खोज के लिए वैश्विक सहयोग और गठबंधन महत्वपूर्ण हैं
"मानवता का भविष्य सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने और आम आदमी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की हमारी सामूहिक क्षमता में निहित है"
अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र की भागीदारी महत्वपूर्ण: डॉ. जितेंद्र सिंह
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बेंगलुरु में जी-20 की चौथी स्पेस इकोनॉमी लीडर्स मीटिंग (एसईएलएम) का उद्घाटन किया
डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय दिया है जिन्होंने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी खिलाड़ियों के लिए खोला है, जिससे हमारे देश ने अंतरिक्ष क्षेत्र में तेजी से उन्नति हासिल की है।
भारत अंतरिक्ष यात्रा में कुछ वर्षों के बाद ही शुरूआत की है, लेकिन विश्व के अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसियों के लाभ के लिए भारत महत्वपूर्ण संकेत और योगदान प्रदान कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की अमेरिका यात्रा के दौरान अंतरिक्ष संबंधी समझौते एजेंडे का महत्वपूर्ण घटक रहा है, जिससे दिखता है कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अग्रणी देश भी भारत की ओर ध्यान देने लगे हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने निजी क्षेत्र की सराहना की है और उन्होंने अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में उनकी उभरती भूमिका को "महत्वपूर्ण" बताया।
वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपनी भागीदारी बढ़ाने के लिए अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों के गठबंधन की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम ने वैश्विक आर्थिक प्रणाली के भीतर अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के विषय को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित किया।
संस्कृत वाक्यांश 'वसुधैव कुटुंबकम' से प्रेरणा लेते हुए, वक्ता ने भारत के जी-20 एजेंडे का सार "एक पृथ्वी, एक अंतरिक्ष और एक भविष्य" बताया, जो हमारे ग्रह, अंतरिक्ष और भविष्य की परस्पर संबद्धता पर प्रकाश डालता है।
अध्ययनों का अनुमान है कि आने वाले दशक में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था अगला ट्रिलियन-डॉलर उद्योग होगा।
अर्थव्यवस्था में अंतरिक्ष के महत्व को पहचानते हुए, भारत ने अन्य देशों के साथ गठबंधन को बढ़ावा देते हुए अपनी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को खोलने, एकीकृत करने और विकसित करने के लिए विभिन्न उपाय शुरू किए हैं। भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने दुनिया भर के निजी भागीदारों और थिंक टैंकों का स्वागत किया और इस ग्रह पर वास्तविक और सकारात्मक प्रभाव पैदा करने के लिए जी-20 देशों की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं द्वारा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग पर आम सहमति की संभावना व्यक्त की।
मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि चूंकि जी-20 राष्ट्र वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85%, विश्व व्यापार का 75% और वैश्विक आबादी का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए यहां लिए गए किसी भी निर्णय का अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के भविष्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के छह दशकों के दौरान अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की अनुप्रयोग क्षमता का प्रदर्शन किया है।
मंत्री ने उल्लेख किया कि अंतरिक्ष ने अब विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संचार, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, ग्रामीण विकास, आपदा चेतावनी और प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन अध्ययन, नेविगेशन, रक्षा और शासन सहित मानव जीवन के सभी पहलुओं को छू लिया है।
बैठक में राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों के प्रमुख, जी-20 अंतरिक्ष उद्योगों के नेता, जी-20 और आमंत्रित देशों के वरिष्ठ राजनयिक और दो दिवसीय सत्र में भाग लेने वाले अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल रहे।
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