एसएसएस पद्धति से 85% बाछियां हो रहीं पैदा, गोवंश के गाभिन होने की गारंटी
एसएसएस स्कीम के तहत किसानों से कृत्रिम गर्भाधान के लिए 500 रुपये लिए जाते हैं. इससे गोवंश के गाभिन होने की गारंटी दी जाती है.
रांची : पशुपालन विभाग ने गोवंशों में सेक्स शार्टेड सिमेन ( एसएसएस पद्धति) की शुरुआत की थी. इसका परिणाम अब आने लगा है. करीब एक साल पहले शुरू किये गये इस कार्यक्रम के तहत 100 से अधिक गोवंशों ने बच्चों को जन्म दिया है. इसमें 85 से अधिक बाछियां हैं. विभाग नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत इसका उपयोग कर रहा है. इसके लिए पशुपालकों को 500 रुपये का भुगतान करना पड़ता है. इस स्कीम के तहत अब तक राज्य में करीब पांच हजार पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान किया गया है. इसमें करीब 900 पशुओं में गर्भ धारण के लक्ष्ण मिले हैं. विभाग ने इस स्कीम के लिए देश के कई नामी संस्थानों से सिमेन मंगवाया है. यह स्कीम भारत सरकार के सहयोग से झारखंड राज्य इंप्लीमेंटिंग एजेंसी (जेएसआइए) चला रही है.
बाएफ और यूएलडीबी से आता है सिमेन
इस काम के लिए जेएसआइए सिमेन बाएफ डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन कंट्रोल रिसर्च स्टडीज, हवेली पुणे और उत्तराखंड डेवलपमेंट बोर्ड, ऋषिकेश देहरादून से लाता है. अब तक दोनों संस्थानों से 17000 से अधिक सिमेन मंगाया जा चुका है. दोनों संस्थानों की अनुशंसा एनडीडीबी ने की है. इसमें एचएफ, जेआर, साहिवाल, गिर, मुर्रा नस्ल के बुल का सिमेन होता है.
गाभिन नहीं होने पर पैसा वापस करने का है प्रावधान
इस स्कीम के तहत किसानों से कृत्रिम गर्भाधान के लिए 500 रुपये लिया जाता है. इसमें गोवंश के गाभिन होने की गारंटी दी जाती है. दो बार कृत्रिम गर्भाधान की कोशिश होती है. गाभिन नहीं होने पर पैसा वापस कर दिया जाता है. वहीं, बाछा होने पर 250 रुपये वापस किये जाते हैं. इस स्कीम के नोडल पदाधिकारी डॉ केके तिवारी के अनुसार इसके लिए विभाग पूरा संसाधन कृत्रिम गर्भाधान कर्मियों को उपलब्ध कराता है. 500 रुपये के अतिरिक्त कोई अतिरिक्त राशि किसानों को नहीं देनी होती है. इसके लिए जेएसआइए ग्रामीणों को कृत्रिम गर्भाधान का प्रशिक्षण दे रहा है.
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